Subhas chandra bose biography in hindi ( सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय )
सुभाष चंद्र बोस की जीवन से( जन्म दिनांक,शिक्षा,भारतीय क्रांति में योगदान, इनसे जुड़े आदोंलन, कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए योगदान, विवाह, मृत्यु) सम्बंदित जानकारिया।
सुभास चंद्र बोस भारतीय क्रन्ति के सबसे बड़े योद्धाओ में से एक थे। इन्होने अपनी आंदोलनकारी नीति से अंग्रेजी सरकार के नाक में दम करके रखा था। ये आंदोलन के साथ हिंसक निति को भी समय के हिसाब से उपयुक्त मानते थे। कहा जाता है कि अगर सुभाष चंद्र बोस और समय तक जीवित रहते तो अवश्य ही अपनी नीतियों से भारत को काफी पहले आज़ाद कर चुके होते। भारत की आज़ादी की नीव रखने वाले प्रमुख नेता सुभाष चंद्र बोस ही थे। इन्होने ही इंग्लैंड जाकर वह के तत्कालीन प्रधानमंत्री को भारत को आज़ाद करने के सबंध में मनाया था।
ऐसे ही नेताजी के विषय में और जानकारी के लिए जानते है उनके जीवन का पूरा सफर इस बायोग्राफी ब्लॉग के माध्यम से।
दोस्तों स्वागत है आपका बायोग्राफी के इस ब्लॉग में ,हमारी कोशिश है कि हम सभी जानकारी आप तक प्रदान कर सके। इस ब्लॉग पेज में आने के लिया धन्यवाद। चलिए अब आगे बढ़ते है -
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ( SUBHAS CHANDRA BOSE )
सुभास चंद्र बोस का व्यक्तिगत परिचय। PERSONAL DETAILS OF SUBHAS CHANDRA BOSE ) -
1. प्रचलित नाम - नेताजी सुभाष चंद्र बोस
2. जन्म - 23 जनवरी 1897
3. जन्मस्थान - कटक , उड़ीसा
4. मृत्यु - 18 अगस्त 1945
5. मृत्यु स्थान - ताइवान ( एशिया )
सुभाष चंद्र बोस की पारिवारिक जानकारी। FAMILY DETAILS OF SUBASH CHANDRA BOSE -
1. माता - प्रभाती देवी
2. पिता - जानकी नाथ बोस
3. पत्नी - एमिली शेंकल बोस
4. पुत्री - अनीता बोस
5. दामाद - मार्टिन फाफ
सुभाष चंद्र बोस के माता पिता की कुल 14 संताने थी जिसमे कुल 9 पुत्र और 5 पुत्रिया थी। सुभाष चंद्र बोस अपने परिवार में नौवे नंबर के पुत्र थे। तथा पांचवे नंबर के पुत्र थे। इनका परिवार आर्थिक रूप से संपन्न था और इनका परिवार कटक के सम्बृध परिवारों में गिना जाता था।
1. प्रभाती देवी बोस - ये सुभाष चंद्र बोस की माता जी थी।
* ये उतरी कलकत्ता के परम्परा वादी दत्त परिवार की बेटी थी
* ये संस्कारी , दृढ इच्छाशक्ति वाली गुणवान और व्यह्व्हार कुशल महिला थी
* ये ग्रहणी के रूप में परिवार का पालन पोषण किया करती थी इन्होने बड़े ही कुशलता से इतने बड़े परिवार का भलीभांति पालन पोषण किया था।
2. जानकी नाथ बोस - ये सुभाष चंद्र बोस के पिताजी थे।
* ये कटक के प्रसिद्ध वकील थे। पहले ये सरकारी वकील थे लेकिन बाद में सरकारी वकील का कार्य छोड़ कर खुद की निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी।
* इन्होने कटक महापालिका में कुछ समय तक काम किया था।
* बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे है।
* इन्हे अंग्रेज़ सरकार द्वारा राय बहादुर का खिताब भी दिया गया था।
3. एमिली शेंकल बोस - ये सुभास चंद्र बोस की पत्नी थी।
* सुभाष चंद्र बोस से इनकी मुलाकात बर्लिन प्रवास के दौरान अपने इलाज़ कराते समय हुई थी। अपने इलाज़ के दौरान सुभाष और इनके बीच प्रेम बढ़ा।
* ये आस्ट्रिया देश के रहने वाली महिला थी।
* वर्ष 1937 में सुभाष चंद्र बोस ने गुप्त रूप से हिन्दू रीती रिवाज़ से शादी कर ली थी
* 1942 में एमिली ने एक बेटी को जन्म दिया जिसका नाम अनीता रखा गया
* बोस के बाद एमिली जर्मनी में रही , बोस की मृत्यु के बाद एमिली जीवन भर जर्मनी में ही रही।
4. अनीता बोस - ये भी जर्मनी में ही रही
* इन्होने मार्टिन फाफ नामक व्यक्ति से शादी की।
* इन्होने 3 बच्चो को जन्म दिया। पीटर अरुण , थामस कृष्णा , और माया केरीना। ये सभी बच्चे भारत में ना रहकर विदेशो में रह रहे है।
सुभाष चंद्र बोस की शिक्षा संबंदित जानकारी। Education related information of Subhash Chandra Bose.-
* इनकी प्रारंभिक पढाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजियट स्कूल में हुई।
* मात्र 15 वर्ष की आयु में इन्होने विवेकानंद साहित्य का पूर्ण अध्यन कर लिया था। * सुभाष चंद्र बोस शुरू से ही पढाई में अव्वल छात्र रहे है इन्होने अपने जीवन की सभी परीक्षा को प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया था। सिर्फ एक बार स्कूल के समय में इनकी तबियत बहुत ज्यादा ख़राब हो गयी थी जिसके कारण ये ये अपनी पढाई अच्छे से नहीं कर पाए थे। फिर भी इन्होने द्रितीय श्रेणी से परीक्षा उत्तीर्ण की।
* इसके बाद आगे की पढाई के लिया ये कलकत्ता आ गए और यहां के स्कॉटिश कॉलेज से दर्शन शास्त्र में स्नातक की शिक्षा पूरी की। * कॉलेज के दिनों में इन्होने देखा की वह के एक अंग्रेज प्रोफ़ेसर भारतीयों को सताते थे कड़ी सजा के रूप में यातनाये देते थे। कहते है की विरोध स्वरूप इन्होने उस प्रोफ़ेसर की पिटाई कर दी थी। इनके इस कृत्य के कारण इन्हे एक साल के लिए कालेज से निलंबित कर दिया गया। यही से इन्हे अंग्रेजी सरकार से लड़ने का साहस प्राप्त हुआ। * कालेज के दिनों में इन्होने आर्मी के जाने का मन बना लिया था। अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए इन्होने स्कॉटिश कालेज की टेरिटोरियल आर्मी की परीक्षा भी दी , जिसके बाद फोर्ड विलियम सेनालय में बतौर रंगरूट के रूप में प्रवेश किये। लेकिन इसके बाद इन्हे लगा की इसकी वजह से वे कालेज की पढाई पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पा रहे है। इसलिए उन्होंने इसे छोड़ कर अपनी दर्शन शास्त्र की पढाई को जारी रखने का निर्णय लिया।
* इन्होने इसी दौरान 49 वी बंगाल रेजिमेंट भर्ती के लिए आवेदन किया था। जिसमे इनका चयन भी हो गया था। लेकिन दोनों आखो में खराबी के कारण इन्हे इस रेजिमेंट में प्रवेश नहीं दिया गया।
* इसके बाद इन्होने अपनी पढाई पर ध्यान दिया जिसके परिणाम स्वरूप कालेज की परीक्षा में कलकत्ता विश्व विद्यालय में दूसरा स्थान पाया।
* कॉलेज समाप्त करने के बाद इनके माता-पिता की बहुत इच्छा थी कि ये भारतीय सिविल सर्विस परीक्षा को देकर एक अच्छे पद की नौकरी करे। अपने माता पिता की इच्छा को पूरी करने के लिए वर्ष 2019 में इंग्लैंड चले गए। जहा केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के अंतर्गत पढ़ते हुए सिविल सेवा की तैयारी करने लगे।
* कड़ी मेहनत के बल पर सिर्फ 1 वर्ष के भीतर ही इन्होने सबसे कठिन परीक्षाओ में से एक सिविल सेवा की परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया। और चौथी रैंक प्राप्त की। इन्हे इंग्लिश विषय में सबसे ज्यादा नंबर मिले थे। जो कि सभी के लिए काफी ज्यादा आश्चार्यजनक था।
* भारत में बढ़ती राजनैतिक गतिविधिया और 1919 के ज़ालिया वाला बाग़ हत्याकांड के बाद अंग्रेजी सरकार की असलियत को जानकार इन्होने वर्ष 1921 में ही अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।
* इस समय सुभास चंद्र बोस महात्मा गाँधी के प्रभाव में आ गए। जिसके बाद वे अपने देश वापिस लौट आये।
सुभाष चंद्र बोस की आज़ादी को लेकर किये गए संघर्ष। Struggle for the independence of Subhash Chandra Bose -
राजनैतिक जीवन में सुभाष चंद्र बोस का सफर। Journey of Subhash Chandra Bose in Political Life -
वर्ष 1921 में सुभाष चंद्र बोस भारत आकर आज़ादी की लड़ाई में शामिल हो गए। इस समय में इंग्लैंड से प्रिंस ऑफ़ वेल्स की भारतीय यात्रा होने वाली थी। बोस ने इस यात्रा का कड़ा विरोध किया। जिसके परिणाम स्वरूप इन्हे जेल जाना पड़ा। ये सुभाष की पहली जेल यात्रा थी। इसके बाद बोस कांग्रेस में शामिल हो गए। अपनी पूरी जीवन यात्रा में सुभाष कुल 11 बार जेल गए।
सुभाष चंद्र बोस और कांग्रेस। Subhas Chandra Bose and Congress. -
* गाँधी जी के मार्गदर्शन में और उनके निर्देशों के अनुसार सुभाष चंद्र बोस ने वर्ष 1921 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली। गाँधी जी के आदेश अनुसार शुरुआत में इन्होने देशबंधु चितरंजन दास के साथ काम करना शुरू किया।
* 1922 में चितरंजन दास के द्वारा कांग्रेस को छोड़ने के बाद इन्होने कलकत्ता और सम्पूर्ण बंगाल में कांग्रेस की कमान संभाल ली।
* इसी दौरान इन्होने समाचार पत्र स्वराज की शुरुआत की और इसके साथ ही ये चितरंजन दास के समाचार पत्र फारवर्ड के संपादन का कार्य भी करते रहे।
* ये वर्ष 1923 में बंगाल राज्य में कांग्रेस के सचिव रहे। इसी बीच इन्होने जल्दी ही बंगाल के युवाओ , छात्र-छात्राओं और मज़दूरों के बीच अपनी अच्छी पकड़ स्थापित कर ली।
* बोस अपनी नई सोच और युवाओ को लेकर आगे बढ़ रहे थे। इनकी सोच से जल्दी ही ये बंगाल के युवाओ के यूथ लीडर के रूप में पहचाने जाने लगे।
* इसके बाद वर्ष 1928 में मोतीलाल नेहरू की अध्य्क्षता में होने वाली कांग्रेस की बैठक में सुभाष चंद्र बोस और जवाहर लाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज को लेकर मांग उठाना शुरू कर दिया।
* स्वराज की इस मांग को लेकर कांग्रेस के नए और पुराने लोगो में एक विचार नहीं बन पाया जिससे दोनों धड़ो के बीच मतभेद उत्पन्न हो गए। जहा गाँधी जी पुराने लोगो के समर्थन में अपना नेतृत्व कर रहे थे। वही सुभाष चंद्र बोस नई युवा पीढ़ी का नेतृत्व कर रहे थे।
* अंत में ये तय हुआ की अंग्रेज़ सरकार को डोमिनियन स्टेट का दर्ज़ा देने के लिए एक वर्ष की मोहलत दी जावे। इसके बाद अगर भारत को डोमिनियन स्टेट का दर्ज़ा नहीं दिया गया तो भारत को पूर्ण स्वराज बनाने के लिए कड़ा कदम उठाये जाएगें।
* अंग्रेजी सरकार ने 1 वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी डोमिनियन स्टेट से सम्बंदित कोई कार्य नहीं किया। इसके विरोध में कांग्रेस के 1930 लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू की अध्य्क्षता में पूर्ण स्वराज की मांग फिर से की गयी। इस दौरान रावी नदी के तट पर भारत का झंडा फहराया गया। और 26 जनवरी को प्रत्येक वर्ष भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया गया।
* वर्ष 1930 में सुभाष चंद्र बोस सिविल डिसओबिडेन्स बिल का विरोध कर रहे थे जिसके लिए उन्हें जेल में डाल दिया गया।
* 26 जनवरी 1931 को सुभाष चंद्र बोस राष्ट्र ध्वज लेकर विशाल मोर्चे का नेतृत्व कर रहे थे। तभी पुलिस ने इन पर लाठियों से हमला बोल दिया , जिस कारण ये घायल हो गए। इसके पश्चात इन्हे जेल में डाल दिया गया।
इसके बाद गाँधी जी ने अंग्रेज़ सरकार से पूना पैक्ट ( समझौता ) करते हुए जेल के सभी कैदियों को रिहा करवा दिया , लेकिन इस समझौते में भगत सिंग , सुखदेव , राजगुरु को रिहा करने के सम्बंद में कोई फैसला नहीं लिया गया। सुभाष चंद्र बोस ने गाँधी जी को इस समझौते को करने से मना किया। लेकिन गाँधी जी नहीं माने। परिणाम स्वरूप तीनो स्वतन्त्रा सेनानियों को फांसी पर लटका दिया गया , इसके बाद सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस और गाँधी जी से नाराज़ हो गए।
* सन 1931 में बंगाल अधिनियम के उलंघन में सुभाष चंद्र बोस को फिर से जेल में डाल दिया गया। इसके बाद करीब 1 साल जेल में बंद रहे, यहां उन्हें लम्बी बीमारी हो गयी जिसके बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।
* इन्हे भारत न आने की हिदायत के साथ यूरोप भेज दिया गया। यूरोप में रहकर इन्होने वहा के कई शहरो में भारत - यूरोप सांस्कृतिक राजनायिक सम्बन्ध बढ़ाने अपने केंद्र स्थापित किये। इस दौरान वे अपनी बीमारी का इलाज़ भी करते रहे , इसी समय इन्हे एमिली शेंकल मिली जिस से इन्होने विवाह कर लिया।
* इसके कुछ समय बाद बोस भारत वापिस आ गए , उन पर लगी पाबन्दी के उलंघन करने के इल्जाम में उन्हें फिर जेल में डाल दिया गया।
सुभाष चंद्र बोस और राष्ट्रीय योजना समिति का गठन। Subhas Chandra Bose and the formation of the National Planning Committee.-
* वर्ष 1937 में हुए चुनावो में कांग्रेस पार्टी की सरकार 7 राज्यों में बहुमत में आयी। जिसके बाद सुभाष चंद्र बोस को रिहा कर दिया गया।
* वर्ष 1938 में होने वाले कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद इन्होने राष्ट्रीय योजना समिति के गठन की सिफारिश करते हुए कुल 4 समिति गठित की।
राष्ट्रीय योजना समिति क्या है ?
उत्तर - राष्ट्रीय योजना समिति को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1951 में बनाये गए योजना आयोग का एवं वर्तमान में चलित निति आयोग का पूर्व रूप मान सकते है। इसका काम था की आने वाले वर्षो में देश के विकास के लिए योजनाओ का प्रारूप तैयार करना और उसके अनुसार कार्य करना। ये देश के विकास के लिए सबसे अच्छे कार्यो से एक है। और इसके निर्माण का श्रेय सुभाष चंद्र बोस को ही जाता है।
सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गाँधी के बीच मनमुटाव। Conflict between Subhash Chandra Bose and Mahatma Gandhi.--
* वर्ष 1939 में होने वाले कांग्रेस के अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस दुबारा अध्यक्ष पद के लिए खड़े होते है , और इनके विपरीत में पट्टाभि सीतारमैया खड़े होते है जिसे गाँधी जी का पूर्ण समर्थन था।
* इस चुनाव में बोस कुल 203 वोटो को पाकर जीत जाते है इस जीत के बाद गाँधी जी इसे अपनी नैतिक हार बतलाते है और कहते है की अगर उन्हें आगे सुभाष के कार्य करने के तरीके पसंद नहीं आये तो वे कांग्रेस छोड़ देंगे।
* इसके बाद कार्यकारिणी के कुल 14 सदस्यों में से 12 सदस्यों ने अपना इस्तीफा दे दिया। इसमें केवल नेहरू तथस्ट रहे और शरद बाबू ने सुभाष चंद्र बोस का समर्थन किया।
* त्रिपुरी ( जबलपुर ) में होने वाले इस अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस अत्याधिक बुखार से पीड़ित होने के बाद भी स्ट्रक्टर के माध्यम से अधिवेशन में आये और अपने लिए सभी साथियो से सहयोग माँगा और उन्हें मनाने की कोशिश भी की। लेकिन गाँधी जी के प्रभाव के कारण कोई भी बोस के समर्थन में आगे नहीं आये।
* इस अधिवेशन में गाँधी जी स्वयं भी उपस्थित नहीं हुए और उन्होंने भी अपनी तरफ से सुभाष चंद्र बोस का कोई समर्थन नहीं किया।
* इन सब से तंग आकर बोस ने 29 अप्रैल 1939 को इस्तीफा दे दिया। कहा जाता है की इसके बाद गाँधी जी और सुभाष जी के मध्य सम्बन्ध मधुर नहीं रहे।
* सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस से बागी हो चुके थे और कांग्रेस के अंदर ही अपने साथियो के साथ मिलकर 3 मई 1939 को फारवर्ड ब्लॉक नामक पार्टी की स्थापना की।
* कांग्रेस गुट द्वारा सुभाष चंद्र बोस की पार्टी की स्थापना के बाद ,बोस को कांग्रेस से ही बाहर निकाल दिया गया।
* इस तरह कांग्रेस और सुभाष चंद्र बोस का साथ हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया।
सुभाष चंद्र बोस और फारवर्ड ब्लॉक पार्टी। Subhash Chandra Bose and Forward BlocK Party -
* बोस के कांग्रेस से अलग होते ही फारवर्ड ब्लॉक एक स्वतंत्र पार्टी बन गयी।
* इसी दौरान द्रितीय विश्व युद्ध आरंभ हो चूका था और अंग्रेजी सरकार द्वारा इस यूद्ध में भारत के सेनिको के साथ साथ भारतीय संसाधन का भी प्रयोग खूब ज्यादा किया जा रहा था। फारवर्ड ब्लॉक पार्टी ने भारतीय संसाधनो के दुरुप्रयोग को रोकने के लिए विरोध करना शुरू कर दिया।
* इस पार्टी ने जनजागृति के माध्यम से लोगो के बीच अपनी पहचान बनाना शुरू की। लोगो को अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध भड़काना शुरू कर दिया। अंग्रेजी सरकार को इसकी भनक लगते ही उन्होंने पार्टी के सभी प्रमुख नेताओ को पकड़कर जेल में डाल दिया गया।
* सुभाष चंद्र बोस को भी जेल में डाल दिया गया था लेकिन बोस युद्ध के दौरान मिले सुनहरे अवसर को छोड़ना नहीं चाहते थे। इसलिए जेल से ही विरोध करने के लिए इन्होने आमरण अनशन शुरू कर दिया और भूख हड़ताल पर बैठ गए। इनकी हालत ज्यादा खराब होने के बाद सरकार ने इन्हे जेल से निकाल दिया और इन्हे इनके घर में ही नज़रबंद कर दिया गया।
* बोस जैसा चाहते थे वैसा ही हुआ था अब वो जेल से बाहर आ गए थे। घर में रहते हुए ही ये भागने की योजना बनाने लगे। जनवरी 1941 में सुभाष मौका पाकर घर से किसी तरह बाहर भाग निकले।
सुभाष चंद्र बोस और हिटलर की मुलाकात।Meeting of Subhash chandra bose and Hitler.
* सुभाष चंद्र बोस का मानना था की अगर भारत को स्वतंत्र करना है तो इस द्रितीय विश्व युद्ध में इंग्लैंड के विरोधी देशो से मदद मांग कर और इंग्लैंड सरकार को कमज़ोर कर भारत को स्वतंत्र किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले वे घर से भागकर पेशावर - अफगानिस्तान के रास्ते अपने हुलिए को बदलकर जर्मनी जा पहुंचे।
* जर्मनी द्रितीय विश्व यूद्ध के दौरान मित्र देश ( अमेरिका , फ़्रांस , इंग्लैंड आदि ) का दुश्मन राष्ट्र था। और दुश्मन देशो का प्रतिनिधित्व कर रहा था। जर्मनी से तानाशाह हिटलर युद्ध संबधी सभी रणनीति बना रहे थे।
* बोस जर्मनी पहुंचकर वह हिटलर से मिले और उन्हें भारत पर अंग्रेजो द्वारा किये जा रहे अत्याचार से परिचित करवाया।
* इसके बाद बोस जर्मनी में ही रूककर जनवरी 1942 से रेडिओ बर्लिन के माध्यम से प्रसारण शुरू किया। इसमें बोस भारतीयों को उत्साह बढ़ाने वाले भाषण देते थे. इससे विश्व भर के भारतीयों तक स्वतंत्रता की खबर पहुंचाने में मदद मिली।
* जर्मनी की युद्ध में पकड़ ढीली हो रही थी और जर्मनी के कमज़ोर होने से बोस 1943 में सिंगापुर होते हुए जापान आ गए।
सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिन्द फौज। Subhash Chandra Bose and Azad Hind Fauj -
* आज़ाद हिन्द फौज की शुरुआती स्थापना जनरल मोहन सिंग द्वारा की गयी थी।
* सुभाष चंद्र बोस 1943 में जर्मनी से सिंगापुर होते हुए जापान पहुंचे। जापान आकर सर्वप्रथम वे भारत से निर्वासित क्रांतिकारी रासबिहारी बोस से मिले। रासबिहारी बोस उस समय आज़ाद हिन्द फौज की कमान संभाले हुए थे।
* सुभाष चंद्र बोस ने रासबिहारी बोस से आज़ाद हिन्द फौज की कमान अपने हाथो में संभाली। और इस फौज के विस्तार और सगंठन को मज़बूती देने का काम किया।
* इस फौज को संबोदित करते हुए ही सुभाष चंद्र बोस ने ''तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आज़ादी दूंगा'' का नारा दिया। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस , नेताजी के नाम से जाने जाने लगे।
* नेताजी ने तात्कालीन जापानी राज़नायको के साथ मिलकर और उनकी जापानी सेना का सहयोग लेकर भारत पर आक्रमण करने और ब्रिटिश सरकार को हारकर भगाने की योजना बनायी।
* इसी दौरान नेताजी ने आज़ाद हिन्द फौज और विश्व के सभी भारतीय क्रांतिकारियों को संबोदित करते हुए ''दिल्ली चलो'' का प्रसिद्ध नारा दिया।
* सबसे पहले दोनों सेना ने सयुक्त अभियान करके अंडमान और निकोबार द्वीप पर आक्रमण कर दिया। और अंग्रेजी सेना से जीतते हुए वह पर अपना कब्ज़ा जमा लिया।
* जीत के बाद ये दोनों द्वीप आरज़ी-हुकूमते-आज़ाद ऐ हिन्द के अनुशाषण में रहे।
* नेताजी ने इन द्वीपों का नाम बदलकर शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप रख दिया।
* इसके बाद दोनों फ़ोज़ो ने मिलकर मणिपुर और इम्फाल बर्मा इलाके में हमला बोला , लेकिन यह अंग्रेजी सेना का पलड़ा भारी रहा जिस कारण इन्हे अपनी सेना पीछे हटानी पड़ी।
* इसी दौरान जापान भी द्रितीय विश्व यूद्ध में मित्र रास्त्रो से हारता चला गया। जिसके बाद आज़ाद हिन्द फौज को जापानी सेना का सहयोग नहीं मिल पाया। और आज़ाद हिन्द फौज इसके बाद आगे नहीं बढ़ सकी.
नेताजी द्वारा गाँधी जी को राष्ट्रपिता कहना। Netaji calling Gandhiji the father of the nation -
6 जुलाई 1944 को आज़ाद हिन्द रेडिओ में दिये भाषण में नेताजी ने महात्मा गाँधी जी को सम्बोदित करते हुए सबसे पहले राष्ट्रपिता कहा। इसी दौरान नेताजी ने सम्पूर्ण राष्ट्र को अपने द्वारा जापानी सेना से सहायता लेने का कारण और आरजी-हुकूमते-आज़ाद ऐ हिन्द की स्थापना के उदेश्य को बतलाया।
आज़ाद हिन्द फौज के विषय में महत्वपूर्ण तथ्य। Important facts about Azad Hind Fauj -
* इस फौज को एक तरीके से राष्ट्र का दर्ज़ा दिया गया था। इसमें नेताजी ही राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री और युद्ध नेता थे।
* इसे कुल 9 देशो ने अपनी मान्यता दे रखी थी।
* इसमें सभी धर्म को समान प्रतिनिधित्व मिला हुआ था साथ ही इस सेना में महिलाओ को भी बराबर प्रतिनिधित्व मिला हुआ था।
* आज़ाद हिन्द फौज का झंडा - दहाड़ता हुआ बाघ का चिन्ह
* इसे इंडियन नेशनल आर्मी भी कहा जाता था।
* '' कदम कदम बढ़ाये जा खुशी के गीत गाये जा '' इस सेना का संगठन गीत था।
* आज़ाद हिन्द फौज में कुल 40000 से ज्यादा सैनिक थे।
सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु। Subhas Chandra Bose's death -
18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हुई। परन्तु साक्ष्य के प्रमणित पुस्टि ना हो पाने की दशा में इनकी मौत पर बहुत संशय लोगो के मन में रहे है।
* द्रितीय विश्व युद्ध में जापान ही हार के बाद नेताजी नए विकल्प की तलाश में रूस ( तात्कालीन सोवियत संघ ) की सहायता मांगने जा रहे थे। इसके लिए जापानी सेना के प्रमुख फील्ड मार्शल हिसेचि तारुचि ने उनके लिए विशेष '' बम वर्षक विमान मित्शुबिशी 21'' से 17 अगस्त 1945 को सारगान हवाई अड्डे में रूस जाने की व्यवस्था की।
* 23 अगस्त 1945 को जापान की डोमइ न्यूज़ संस्था ने पूरी दुनिया को बताया की 18 अगस्त 1945 को ताइवान के समीप नेताजी का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण नेताजी को घायल अवस्था में विमान से बाहर निकाला गया। उनका शरीर काफी बुरी तरह जल चूका था जिसके बाद उन्हें नज़दीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया , जहा 4 घंटे तक मौत से लड़ने के बाद नेताजी का देहांत हो गया। इसके बाद 20 अगस्त 1945 को ताहिकु शमशान में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
* इनकी मौत के बाद इनकी राख को टोक्यो के निकिरण बौद्ध मंदिर के अंतर्गत रेणक जी मंदिर में विश्राम के लिए रखा गया था।
* बोस की मौत पर इतिहासकारो का कहना है की '' जिस तरह नकाब और चेहरा बदलकर बोस अंग्रेजी सरकार को चकमा देते थे ठीक उसी तरह इनकी मौत भी लोगो को चकमा दे रही है। ''
* बोस के साथीगण नहीं मानते थे की बोस की मृत्यु हो गयी है. उन लोगो का मानना था की बोस किसी अज्ञातवास में चले गए है। वही कुछ लोगो का मानना है''की इसके बाद बोस किसी कारणवश अपनी पहचान छुपा कर रहने लगे और साधु बन कर अपना जीवन यापन करने लगे।''
* महात्मा गाँधी ने भी बोस की मृत्यु पर संदेह जताया था जिसके बाद इनकी मौत को लेकर बहुत बवाल हुआ था।
* समय समय पर जनता के दबाव में ही सही , पर भारत सरकार ने बोस कि मौत की जांच के लिए कमेटिया बनायीं। इसमें सन 1946 में फिगेश कमेटी और 1956 में शाह नवाज कमिटी बनायीं गयी। जिसने माना की दुर्घटना में बोस की मृत्यु हो गयी थी।
* लेकिन वर्ष 1999 में बनी मनोज कुमार मुखर्जी कमिटी ने बताया की ताइवान सरकार ने उन्हें जानकारी दी है कि ''वर्ष 1945 में ताइवान के अंदर कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी जिससे इनकी मौत को लेकर रहस्य और गहरा गया। ''
* खैर इसकी प्रमाणित पुस्टि तो आज भी नहीं हुई है की क्या सच में बोस की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुयी थी नहीं। पर ये बात तो सच है की भारत का वीर क्रन्तिकारी अब भारत में नहीं रहा। समय बीत चूका है इसलिए अब बोस की अच्छी बातो को और उनके विचारो को हम अपने अंदर डालते है जिस से इस देश के लिए कुछ अच्छा कर सके जो की बोस का सपना भी था।
बोस का अपने जन्मदिन पर दिया गया भाषण जिसने उन्हें सुभाष चंद्र बोस से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रूप में पहचान दी -
'' स्वतंत्रता संग्राम के मेरे साथियो स्वतंत्रता बलिदान का भोग मांगती है आपने आज़ादी के लिए खूब त्याग किये लेकिन जान की आहुति अभी बाकि है। मै आप सब से एक चीज मांगता हु वह है खून। दुश्मन ने जो हमारा खून बहाया है इसका बदला सिर्फ खून से ही चुकाया जा सकता है इसलिए तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आज़ादी दूंगा। इस प्रतिज्ञा पत्र पर साधारण स्याही से हस्ताक्षर नहीं करने है बल्कि जिनकी नसों में सच्चा भारतीय खून बहता है प्राणो का मोह देश की आज़ादी से ज्यादा ना हो और जो आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व त्याग करने को तैयार हो। सिर्फ वही लोग आगे बढे। ''
सुभाष चंद्र बोस के विषय में अन्य तथ्य। Other facts about Subhash Chandra Bose -
* इनके लिए स्वतंत्रता सर्वप्रमुख थी इसके लिए इन्होने फासीवादी ताकतों जैसे हिटलर , मुसोलिनी और तात्कालीन जापान जैसी ताकतों का साथ लेने में भी कोई सोच विचार नहीं किया।
* सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही पढाई में अवल्ल छात्र रहे है इन्होने मात्र 15 वर्ष की आयु में ही विवेकानंद साहित्य का पूरा अध्यन कर लिए था।
* ये अपने जीवन में स्वामी विवेकानंद और अरविन्द घोष को बहुत मानते थे और उनका अनुसरण करते थे। इन्होने समाज को भी इनसे प्रेरणा लेने के लिए कहा था।
* इनके सम्मान में कलकत्ता हवाई अड्डे का नाम इनके नाम से सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा रखा गया है।
* पश्चिम बंगाल राज्य में विधान सभा के सामने इनकी मूर्ति लगायी गयी है।
सुभाष चंद्र बोस पर निर्मित फिल्मे। Films produced on Subhash Chandra Bose
1. द फारगाटन हीरो - * यह श्याम बेनेगल द्वारा रचित फिल्म है।
* यह फिल्म राष्र्टीय और अंतरास्ट्रीय स्तर पर बहुत ही हिट रही थी।
2. बोस - ये एक वेब सीरीज़ थी
* प्रसिद्ध अभिनेता राजकुमार राव ने इसमें बोस का किरदार निभाया था।
3. गुमनामी
सुभाष चंद्र बोस द्वारा लिखी गयी पुस्तके -
1. द इंडियन स्ट्रगल (1920 - 1942 )
2. एन इंडियन विलीग्रैम
3. आज़ाद हिन्द - राइटिंग एन्ड स्पेचरल
4. कांग्रेस प्रेजिडेंट
5. अल्टेरनेटिव लीडरशिप ,
6. द कॉल ऑफ़ मदरलैंड
7. एसेंसियल राइजिं
Comments
Post a Comment