रतन टाटा की जीवनी ratan tata biography in hindi

    दोस्तों बायोग्राफी के इस ब्लॉग में आज हम बात करने वाले है भारत के सर्वश्रेस्ठ बिज़नेसमेन और पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले आदरणीय रतन टाटा सर की,चलिए शुरू करते है रतन टाटा सर के जीवन के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी को जानने की -



                          रतन टाटा ( Ratan tata )


पूरा नाम - रतन नवल टाटा 
जन्म - 28 दिसंबर 1937
आयु - 84 साल 
राशि - तुला  
जन्मस्थान - सूरत 
माता - सोनू टाटा 
पिता - नवल टाटा 
दादी - नवजबाई टाटा (इन्होने ही रतन टाटा का पालन पोषण किया है)
सौतेली माँ - सिमोन टाटा 
सौतेला भाई - नोएल टाटा 
चाचा - जे आर डी टाटा 
जाति - पारसी 
शादी  - अविवाहित 
शिक्षा - BS डिग्री संरचनात्मक इंजीनिरिंग के साथ साथ वास्तुकला में उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम 
स्कूल - मुंबई केम्पियन स्कूल ( कक्षा 8 तक )
            केथेड्रल और जान कानन स्कूल  ( हाई स्कूल और इंटरमीडिएट )
कॉलेज - रिवरडेबल कंट्री स्कूल ( न्युयोर्क )


रतन टाटा का शुरूआती जीवन - 
                                                           अपने कॉलेज को ख़त्म करने एक बाद रतन टाटा ने 1955 से 1962 तक अमेरिका में रहकर केलिफोर्निया और वेस्ट कोस्ट में रहकर जोन्स और अमोंस नामक कंपनी में काम किया। शुरुआती दिनों  में इनका मन अपने फैमिली बिज़नेस को जारी न रख नौकरी करते हुए अमेरिका में ही बिताने का था।  लेकिन 1961 के अंत में रतन टाटा की दादी नवजबाई की तबियत ख़राब हो गयी और चुकि रतन अपनी दादी से बहुत प्यार करते थे इसलिए उनकी देख रेख करने  के लिए भारत आ गए।
          *  भारत में आकर इन्होने IBM कम्पनी में जॉब किया। 
          *  भारत में आने के बाद रतन को  चाचा JRD TATA ने अपने पारिवारिक बिज़नेस में उतरने की सलाह दी। इसके बाद  रतन ने टाटा ग्रुप को ज्वाइन कर लिया। 


टाटा ग्रुप और रतन टाटा का सफर 
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                                                           वर्ष 1962 के करीब में इन्होने टाटा ग्रुप को जॉइन कर लिया। टाटा ने अपने काम से सभी को प्रभावित किया , उनके अंदर की छमता को उनके चाचा JRD TATA ने पहचान लिया था

          आइये जानते है विस्तार से की कैसे रतन टाटा अपने काम के बदौलत टाटा ग्रुप में आगे बढ़ते रहे -

          * टाटा ने शुरुआती दिनों में टाटा स्टील के शॉप फ्लोर में काम किया। इसका मतलब जिस तरीके से कोई सुपरवाइज़र या शुरआती मजदुर होते है जो कंपनी में एक दम ग्राउंड लेवल में काम करते है ठीक उन्ही की भांति रतन टाटा ने अपना काम शुरू किया। इस से उन्हें मजदूरों से लेकर बड़े अधिकारियो तक के सम्भंद में काम के तरीके और उनको  वाली परेशानी  सम्बंद में गहराई से जानने को मिला। 


टाटा में रहते हुए रतन के शुरुआती संघर्ष -


          * वर्ष 1971 में रतन टाटा को नेशनल रेडिओ एव इलेक्ट्रिक कंपनी ( नार्को )में डायरेक्टर इंचार्ज का पद दिया गया। उस  समय यह कंपनी बहुत घाटे में चल रही थी। कंपनी की बाजार में हिस्सेदारी सिर्फ 2 प्रतिशत थी, और कंपनी लगभग 40 प्रतिशत घाटे में चल रही थी। पर रतन टाटा ने अपनी मेहनत से इस कंपनी की बाजार में हिस्सेदारी बढाकर 20 प्रतिशत और घाटे को ख़त्म करके मुनाफा अर्जित करने  वाली कंपनी बना दी।                            लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। तब की इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल लगा दिया  जिस से इस कंपनी को बहुत घाटा हुआ और अंत में नार्को कंपनी को बंद ही करना पड़ा। 


       * इसके बाद रतन टाटा को टाटा ग्रुप की कपडा मिल EMPRESS MILL  का प्रबंधन का जिम्मा दिया गया।उस समय यह कंपनी भी बेहद घाटे में चल रही थी और  बाजार में इसे अन्य कम्पनी से बहुत प्रतियोगिता करनी पड़ रही थी।  रतन ने इस कंपनी को बचाने और इसे घाटे से निकालने के बहुत प्रयास किये। लेकिन कंपनी के शीर्ष  पर बैठे लोग कंपनी को बंद करने की मांग करने लगे, और अंत में कंपनी को बंद करना पड़ा। 
         रतन टाटा इस कंपनी के बंद होने से बहुत निराश हुए ये उनके लिए जिंदगी की बहुत बड़ी असफलता थी. एक बार उन्होंने इंटरव्यू में बताया था ''मैने इस कंपनी को बचाने की बहुत कोशिस की थी और मुझे सिर्फ 50 लाख रूपए मिल जाते तो वह कंपनी कभी बंद नहीं होती। ये मेरे जीवन की बड़ी असफलता थी ''

          इनकी कार्य के प्रति निरंतरता और कुशल कार्य शैली को इनके चाचा JRD TATA समझ चुके थे और उन्होंने वर्षः 1981 में टाटा ग्रुप की जिम्मेदारी रतन टाटा को सौंपने की घोषणा कर दी। उस समय युवा रतन को इतनी बड़ी जिम्मेदारी देने का कई लोगो ने विरोध किया , लेकिन JRD TATA अपने फैसले पर कायम रहे और वर्ष 1991 में टाटा ग्रुप का मुख्य कार्यकारी और अध्यक्ष रतन टाटा को बना दिया। 



टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहते हुए रतन जी कार्य -
                        
                                                                 रतन जी ने अपने जीवन में कुल 2 बार टाटा ग्रुप के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला।  इनका पहला कार्यकाल वर्ष 1991 से 2012 तक रहा ,  उसके बाद इन्होने कंपनी के मुख्य चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया।  और सायरस मिस्त्री को कंपनी का नया चेयरमेन नियुक्त किया। लेकिन कुछ विवाद के चलते मिस्त्री को वर्ष 2016 में उनके पद से हटा दिया गया। जिस से 2016 से 2017 तक रतन जी ने फिर से कंपनी के चैयरमेन का पद संभाला। इसके बाद एन नटराजन को टाटा का नया चैयरमेन नियुक्त किया गया। 

   जानते है कैसे अपने कार्यकाल में रतन जी ने टाटा को इतनी ऊचाई पर पहुंचाया। 

     * रतन जी ने अपनी दूरदर्शिता का परिचय देते हुए टाटा ग्रुप की कमान मिलते ही टाटा मोटर्स के पब्लिक इशु जारी कर टाटा मोटर्स को न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड करवा दिया। 

     * इसके बाद इन्होने वर्ष 1998 में भारत की कंपनी दवारा भारत में निर्मित पहली कार टाटा इंडिका लांच की। 

*     इसके बाद रतन जी ने टाटा ग्रुप में तेजी से विस्तार पर ध्यान दिया और इसे अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना शुरू किया। 
                             इस दिशा में इन्होने वर्ष 2004 में टाटा टी कंपनी ने लन्दन स्थित विश्व विख्यात कंपनी टेटली टी कंपनी का अधिग्रहण कर लिया। 

*    इसके बाद वर्ष 2007 में स्टील निर्माण करने वाली एंग्लो-डच कंपनी को खरीद लिया। जिस से टाटा ग्रुप विश्व का पांचवा सबसे बड़ा इस्पात निर्माता कंपनी बन गयी। 

*    रतन जी के प्रयासों से दक्षिण कोरिया की ट्रक निर्माता कंपनी डेड मोटर्स को ख़रीदा गया। 

*    साल 2008 में रतन जी ने विश्व की प्रसिध्द कार निर्माता कंपनी फोर्ड से जगुआर और लैंड रोवर को ख़रीदा। इस डील से सम्पूर्ण विश्व में टाटा मोटर्स की प्रसिद्धि फैली।  




*    रतन जी अपने देश से बहुत प्यार करते है , उन्होंने अपने देश वासियो को सस्ती कार दिलाने का वादा किया था। जिसे पूरा करते हुए वर्ष 2008 में दिल्ली में आयोजित मोटर एक्सपो में देश की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो लांच की। बता दे टाटा नैनो सिर्फ 1 लाख रूपए मे मिलने वाली कार थी। 

*   टाटा ग्रुप को अपने शिखर पर ले जाते हुए रतन टाटा जी ने सबसे पहले 75 साल की उम्र में 28 दिसम्बर 2012 को मुख्य चैयरमेन के पद से इस्तीफा दे दिया। 


               बता दे जो रतन जी अभी भी टाटा ग्रुप में चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष है।  इसके अलावा वे सभी ग्रुप में अध्यक्ष है और सभी जरुरी फैसले अभी भी रतन जी की देख रेख में ही होते है।  



रतन जी को मिले प्रंमुख अवार्ड -
 
                              रतन जी को भारत सरकार ही  अपितु विदेशी सरकारों से भी कई पुरूस्कार प्राप्त हुए है रतन जी को मिले कुछ प्रमुख पुरूस्कार ये है -

नं        पुरूस्कार                                                         संस्था 
 
1.   पद्म भूषण  (2000)                            -                भारत सरकार 
2.   पद्म विभूषण (2008)                         -                 भारत सरकार (यह भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक                                                                                                                पुरुस्कार है)
3.   बिज़नेस लीडर्स ऑफ़ द ईयर(2010)  -                 एशियाई पुरूस्कार                                     
4.   बिज़नेस फॉर पीस अवार्ड (2010)      -                शांति फाउंडेशन 
 5. ऑनरेरी डाक्टर ऑफ़ बिज़नेस प्रैक्टिस(2013) -  कार्नेगी मेलो विश्वविधालय 
6.  कमांडर ऑफ़ द लीज़न ऑफ़ ऑनर (2016)   - फ़्रांस सरकार 

7. सिंगापुर सरकार ने इन्हे सम्मान स्वरूप अपनी नागरिकता प्रदान की है। 


रतन टाटा द्वारा 26/11 हमले के बाद किये सेवाभावी कार्य -
                  
                                  रतन टाटा जी अपने देश और अपनी कंपनी के कर्मचारियों के लिए कितने ज्यादा अच्छे है इसका नज़ारा मुंबई आतंकवादी हमले 2008  बाद देखने को मिला था।  शायद हम से अधिकतर लोग जानते है की रतन जी कितने ज्यादा सेवाभावी इंसान है आइये देखते है इस दौरान उनके द्वारा किये गए कामो के विषय में गहराई से -

   
      * 26/11 हमले का मुख्य केंद्र रहे होटल ताज, टाटा समूह का ही है  इस हमले के दौरान होटल ताज में पर्यटकों के साथ होटल स्टाफ को भी जान माल की गहरी छती पहुंची थी।  रतन जी ने  इस दौरान सभी घायलों और मृत वयक्ति के परिजनों से स्वयं जाकर मुलाकात की थी। 

      *  ताज होटल में घायल स्टाफ को इन्होने मुफ्त चिकित्सा सहायता के साथ उनके ठीक न हो जाने तक पूरी पेमेंट नियमित रूप से दी थी। साथ ही मृत हुए व्यक्ति के परिजनों को उनके शेष जीवन भर का वेतन उनके आश्रितों को देने का कार्य किया था।  ये सभी काम इन्होने अपने ट्रस्ट के माध्यम से बिना किसी सरकारी सहायता से किया था। 
     * इसके अलावा  होटल ताज में घायल और मृत लोगो को भी इन्होने पूरी मुफ्त चिकित्सा और मुआवज़ा प्रदान किया था। 
     * टाटा केवल अपने होटल और होटल में स्थित पर्यटकों तक ही सिमित रहे, बल्कि इन्होने होटल के आस - पास के वे सभी छोटे दुकानदार जो इस हमले से प्रभावित हुए थे उन्हें भी पर्याप्त मात्रा में वित्तीय और चिकित्सा सहायता उपलब्ध करवाई थी।  
              सबसे बड़ी बात ये है की रतन टाटा जी ने ये सब कार्य बिना किसी सरकारी मदद के और सरकार द्वारा दी जाने वाली मदद के काफी पहले ही सफलता पूर्वक कर दिए थे 

    * हमले के बाद रतन जी ने होटल के सुधार के लिए एक टेंडर ( निविदा ) निकली थी जिसमे सभी देश के लोगो ने निविदा में भाग लिया था।  कहते है की इस दौरान पाकिस्तानी निविदा भी आयी थी जिसे लेने से रतन जी ने साफ़ मना कर दिया था , और कभी पाकिस्तानियो के साथ काम नहीं करने को कहा था।  रतन जी की ये बात हमें बताती है की वे अपने देश से कितना प्रेम करते है। 



रतन टाटा के विषय में कुछ खास बाते -              


       * रतन जी कुत्तो से खास लगाव रखते है इसका खास उदाहरण ये है  मुंबई में इनका 400 करोड़ रूपए की कीमत का बंगला है जिसमे ये तो रहते ही है लेकिन इसमें इन्होने ढेर सारे कुत्ते पाल रखे है। 

     * रतन जी कित्ताब पढ़ने का बहुत ज्यादा शौक रखते है , इनके घर में बहुत सारी किताबो का संग्रह है। 

     * रतन जी सादा जीवन जीते है।  ये अपने रहन सहन में भी सादगी को विशेष स्थान देते है।  

     * रतन जी बहुत ही शांत स्वभाव रखते है तथा थोड़े शर्मीले स्वाभाव के भी है इनकी सादगी इतनी सरल है की ये अपने घर में सिर्फ बहुत काम की चीजों को ही स्थान देते है और विलासिता के सामान इनके घर में देखने को नहीं मिलते। 

     * रतन सिर्फ 10 साल के थे जब इनके माता - पिता का तलाक हो गया था. तलाक के बाद इनके पिता ने दूसरा विवाह कर लिए था। दूसरी माता से इनका सौतेला भाई भी है जिसका नाम नोएल टाटा है। 

     * रतन टाटा समूह की सभी प्रमुख कंपनी जैसे टाटा स्टील ,  टाटा मोटर्स , टाटा पावर , टाटा कंसल्टेंसी , टाटा टी , टाटा केमिकल्स , इंडियन होटल्स , टाटा टेलीसर्विसेस के प्रमुख की भूमिका  चुके है। 

     * इन्होने अपनी मेहनत से कई सालो से घाटे में चल रही कंपनियों को घाटे से निकाल कर विश्व स्तरीय कंपनी बनायीं है। 

     * बचपन से इन्हे पियानो बजाने और क्रिकेट खेलने का बहुत  ज्यादा शौक था .
 
     * रतन टाटा अपनी बात के बहुत पक्के है इसका प्रमाण इस बात से मिलता है की अमेरिका में रहते हुए इन्हे एक लड़की से प्यार हुआ था और वह लड़की भी इनसे प्यार करती थी और रतन जी ने सिर्फ उसे ही अपनी पत्नी बनाने का वादा किया था। लेकिन इनकी दादी की तबियत खराब होने से ये भारत आ जाते है और जब फिर उस लड़की से शादी करने जाते है तो पता चलता है की उसने किसी और से शादी कर ली है।  अपने वादे को निभाने के लिए इन्होने जीवन भर शादी नहीं की । 

       * रतन टाटा स्वयं पायलट का कोर्स किये है , और इन्हे प्लेन उड़ाने का बहुत शौक है। 

       *ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार इनकी कमाई 117 बिलियन डालर या 8.25 लाख करोड़ बताई गयी थी।  लेकिन रतन जी अपनी सम्पति या कमाई का 65 प्रतिशत भाग दान कर देते है इसलिए ये दुनिया के सबसे आमिर व्यक्तियों में शामिल नहीं हुए। 

      * रतन जी ने अपना व्यक्तिगत निवेश स्नेपडील , अर्बन लेंडर, जिओमी जैसी कंपनी में किये हुए है। 

      * वर्तमान में रतन जी टाटा समूह के चेरिटेबल ग्रुप के अध्य्क्ष है , जो टाटा की सम्पति के सम्बंद में निर्णय लेते है। 

      * इन्होने अपने कार्यकाल में कंपनी की वैल्यू 50 गुना बढ़ा दी थी। 

       * वर्ष 2007 में फॉर्चून पत्रिका ने इन्हे विश्व के 25 प्रभावशाली बिज़नेस मेन में शामिल किया था। 

       * इन्होने 80 से ज्यादा देशो में टाटा ग्रुप का विस्तार किया था। 

      * मई 2008 में टाइम पत्रिका ने इन्हे विश्व के 100 शक्तिशाली लोगो में शामिल किया था। 

      * लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स ने इन्हे डॉक्टरेट की उपाधि देकर सम्मानित किया था।  



रतन जी के अन्य कार्य में सहभागिता - 

                                                ऐसा नहीं है की रतन जी सिर्फ बिज़नेस में ही सक्रीय है बल्कि ये देश और समाज सेवा के कार्यो में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है ये कई सारी राष्ट्रीय और अंतरास्ट्रीय संस्था से जुड़े हुए है। आइये जानते है विस्तार से -

  * रतन जी भारतीय एड्स कार्यक्रम समिति के जागरूक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते रहते है। 

  * ये विदेशो में स्थितः  रैंड निगम , मातृसंस्था ऑफ़ कार्नेल विश्व विद्यालय एव दक्षिणी केलिफोर्निया विश्व विद्यालय के न्यासी मंडल के सदस्य भी है।  

   * विदेशो में स्थित मित्सुबिसी निगम , अमेरिकन इंटरनेशनल समूह , जे पी मॉर्गन चेंज बूट एलन हेमिल्टन के अंतराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी है। 

  * कोरोना काल के दौरान इन्होने भारत सरकार को बड़ी रकम कोरोना से लड़ने के लिए दान की थी। 




रतन टाटा के महान विचार - 


      * मै सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता , मै निर्णय लेता हु फिर उसे सही साबित करता हु। 
        
       * अगर आप तेज़ी से चलना चाहते है , तो अकेले चलना होगा पर अगर आप दूर तक चलना चाहते है तो आपको सबके साथ चलना होगा। 

       * आगे बढ़ने के लिए  जिंदगी उतार,चढ़ाव बहुत जरुरी है।  क्युकी ई.सी.जी में सीधी लाइन का मतलब भी मौत ही होता है। 

      * सत्ता और धन मेरे सिद्धांत नहीं है। 

      * ऐसी कई चीजे है कि अगर मुझे दुबारा जीने  का  मौका मिले तो मै अलग ढंग से करना  चाहूंगा , लेकिन मै पीछे मुड़ कर देखना नहीं चाहूंगा कि मै क्या नही कर पाया। 
   
      * कोई लोहे  को नस्ट नहीं कर सकता सिवाय उसकी जंग के , ऐसे ही मनुष्य को केवल उसकी ख़राब मानसिकता ही नस्ट कर सकती है। 
        

जाने टाटा ग्रुप के बारे में  - टाटा ग्रुप अपनी 30 से ज्यादा कंपनियों के साथ विश्व का सबसे बड़ा कंपनी समूह है , टाटा चाय ,स्टील, कार , इनसोरेन्स , होटल ग्रुप ,सॉफ्टवेयर जैसी सभी  चीजे बेचते है वो भी सफलतापूर्वक। 
        * टाटा ग्रुप की कुल मार्केट वैल्यू - 17 लाख करोड़ रूपए 
        * टाटा ग्रुप की अपने 10 कलस्टर के साथ 30 से ज्यादा कंपनी है जिनका कारोबार लगभग 100 देशो में फैला हुआ है  
        * वर्तमान में टाटा की सबसे महंगी कार - टाटा सफारी ( 14.99 लाख )
                                     








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